कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सोशल मीडिया पर कई लोग पप्पू कहकर सम्बोधित करते हैं। लोगों का कहना है कि राहुल जो भी बात कहते हैं उनकी बात में वजन नहीं होता है। राहुल गांधी को राजनीति की कुछ ख़ास समझ नहीं है। लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने प्रतिद्वंदियों की ऐसी बातों पर कोई प्रतिक्रिया न देखर चुप रहना पसंद करते हैं। कांग्रेस के लोग राहुल गांधी को जनता का नेता कहकर सम्बोधित करते हैं।
वही राहुल गांधी बीते कई महीनों से जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनना, समाधान करना और एक जमीनी नेता की भांति उनके दुःख बाँटने में जुटे हैं। राहुल का यह रूप पहले कभी नहीं देखा गया। आज से पहले जब भी राहुल का जिक्र हुआ तो सोनिया के बेटे के रूप में हुआ। लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल जनता के नेता बन गए।
आज राहुल को देखकर लगता है वह अपनी लग्जरी लाइफ से थोड़ा हटकर जमीनी हकीकत देख रहे हैं और आम आदमी की मजबूरी को समझ सकते हैं। देश के अहम मुद्दे राहुल गांधी अक्सर उठाते रहते हैं। राहुल का कई बार बयाना आता है कि सरकार का काम कमजोर की मदद करना है। अब सवाल यह उठता है कि राहुल की यह छवि अचानक से तो नहीं विकसित हुई। राहुल गांधी तो पहले भी थे तो पहले उनको पप्पू किसने बना दिया और जनता ने राहुल को ऐसा नेता क्यों माना कि वह राजनीति की बेहतर समझ नहीं रखते हैं।
राहुल को किसने बनाया पप्पू –
लेखक अशोक कुमार पांडेय ने सोशल मीडिया पर लिखा- राहुल कैसे बनें पप्पू वह लिखते हैं- याद कीजिए जब वह नये-नये राजनीति में आये थे। अख़बार से लेकर टीवी तक उनकी तारीफ़ से भरे थे। उन्हें नई सदी की उम्मीद कहा जा रहा था। फिर भट्टा पार्सौल हुआ। मीडिया के समझ में आया कि यह एलीट परिवार से आया व्यक्ति तो ग़रीबों-किसानों-मज़दूरों की बात कर रहा है!
ज़ाहिर है बड़े-बड़े बिजनेस घराने, पत्रिकाओं-चैनलों के मालिकान इस बात से नाराज़ होते कि राहुल गांधी निजीकरण के बेलगाम घोड़े को नियंत्रित कर ग़रीबों का खेत बचाने की कोशिश कर रहा है। बस यहीं से वह विलेन बनने लगे। अब मीडिया उनके बारे में दुष्प्रचार करने लगा।
इसी बीच उनके पास गुजरात से आया एक नया नेता था जो उद्योगपतियों को ग़रीबों-मध्यवर्ग को लूटने की खुली छूट देने को तैयार था। उसके पास ट्रॉल आर्मी थी। पतित भाषा के किसी भी स्तर पर जाने को तैयार। बस मीडिया और ट्रॉल्स की जुगलबंदी हो गई। फिर चला अभियान और अब तक चलता आ रहा है। ग़रीबों और मध्यवर्ग को पता ही नहीं चला कि उन्होंने अपने पक्ष में बात करने वाले को अपना दुश्मन समझ लिया है…
राहुल गांधी ‘पप्पू’ कैसे बने?
याद कीजिए जब वह नये-नये राजनीति में आये थे। अख़बार से लेकर टीवी तक उनकी तारीफ़ से भरे थे। उन्हें नई सदी की उम्मीद कहा जा रहा था।
फिर भट्टा पार्सौल हुआ। मीडिया के समझ में आया कि यह एलीट परिवार से आया व्यक्ति तो ग़रीबों-किसानों-मज़दूरों की बात कर… pic.twitter.com/MxWhTVvcA0
— Ashok Kumar Pandey अशोक اشوک (@Ashok_Kashmir) September 1, 2023 “>
राहुल गांधी ‘पप्पू’ कैसे बने?
याद कीजिए जब वह नये-नये राजनीति में आये थे। अख़बार से लेकर टीवी तक उनकी तारीफ़ से भरे थे। उन्हें नई सदी की उम्मीद कहा जा रहा था।
फिर भट्टा पार्सौल हुआ। मीडिया के समझ में आया कि यह एलीट परिवार से आया व्यक्ति तो ग़रीबों-किसानों-मज़दूरों की बात कर… pic.twitter.com/MxWhTVvcA0
— Ashok Kumar Pandey अशोक اشوک (@Ashok_Kashmir) September 1, 2023