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देश: भारत में कृषि क्रांति के सूत्रधार, महान कृषि वैज्ञानिक एवं पद्मविभूषण से सम्मानित एमएस स्वामीनाथन का निधन हो गया है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में सुबह 11.20 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। सूत्रों के मुताबिक एमएस स्वामीनाथन की बढ़ती उम्र और कई स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याओं के कारण उनका निधन हुआ है। उन्होंने 1972 से लेकर 1979 तक ‘इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च’ के अध्यक्ष के तौर पर भी काम किया। एमएस स्वामीनाथन डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के वैज्ञानिक थे। 

जानें एमएस स्वामीनाथन के अनसुने किस्से :

स्वतंत्रता संग्राम:

एम. एस. स्वामीनाथन ने स्वतंत्रता संग्राम में सीधे शामिल नहीं हुए थे, लेकिन वे स्वतंत्रता संग्राम के समय किसानों के हक और कृषि सेक्टर के सुधार के लिए अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात् कृषि विज्ञान के क्षेत्र में अपने अनुसंधानों और कृषि सुधार के काम के माध्यम से देश के किसानों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने का काम किया।

उन्होंने “हरित क्रांति” नामक अभियान की शुरुआत की, जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय किसानों के लिए उच्च उत्पादकता वाले खाद्य फसलों के विकास करना था। इस अभियान के माध्यम से उन्होंने किसानों को नए तकनीकियों, खाद्य सुरक्षा, और कृषि उत्पादन के क्षेत्र में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित किया। एम. एस. स्वामीनाथन का योगदान भारतीय कृषि के विकास और किसानों के हकों के प्रति उनके समर्पण के लिए प्रसिद्ध है, और वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात् खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नेतृत्व की भूमिका निभाई।

सामाजिक कार्य:

एम. एस. स्वामीनाथन ने अपने सामाजिक कार्यों के माध्यम से भारतीय समाज को विभिन्न क्षेत्रों में सुधार करने का काम किया। उनके सामाजिक कार्यों में निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया जा सकता है:

  1. किसानों के लिए सुधार: एम. एस. स्वामीनाथन ने भारतीय किसानों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलू शुरू किए। उन्होंने उच्च उत्पादकता वाले खाद्य फसलों के विकास के लिए अनुसंधान किया और किसानों को नई तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।
  2. खाद्य सुरक्षा: उन्होंने खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया, जिसके माध्यम से भारत को आत्मनिर्भरता में मदद मिली।
  3. शिक्षा के प्रोत्साहन: वे शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी भूमिका निभाए और शिक्षा को प्राथमिकता दी।
  4. महिला सशक्तिकरण: उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए भी कई महत्वपूर्ण पहलू शुरू किए, जैसे कि महिलाओं को कृषि क्षेत्र में शिक्षित करने के लिए उपाय।
  5. सामाजिक और आर्थिक सुधार: उन्होंने किसानों के आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं की शुरुआत की और समाज में सामाजिक समानता को प्रोत्साहित किया।

राजनैतिक करियर:

एम. एस. स्वामीनाथन का राजनैतिक करियर कुछ ख़ास नहीं था, उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात् खाद्य सुरक्षा और कृषि के क्षेत्र में अपना मुख्य क्षेत्र बनाया। वे कृषि विज्ञान के क्षेत्र में अपने अनुसंधानों और कृषि सुधार के काम के माध्यम से किसानों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए जाने जाते हैं।

हालांकि उनका प्रमुख ध्येय था कृषि के क्षेत्र में अपने योगदान से भारत के किसानों की स्थिति को सुधारना, लेकिन वे कुछ समय तक राजनैतिक मंच पर भी नजर आए। उन्होंने कुछ समय तक भारतीय संसद के सदस्य भी रहे हैं और कृषि के क्षेत्र में अपने योगदान के साथ-साथ वे राजनैतिक मुद्दों पर भी अपनी दृष्टि रखते थे।

इनके राजनैतिक करियर के बावजूद, उनकी प्रमुख पहचान कृषि विज्ञान और कृषि सुधार के क्षेत्र में है, और उनके योगदान का मुख्य उद्देश्य भारतीय किसानों की खाद्यबता दें एमएस स्वामीनाथन ने स्वतंत्रता संग्राम के बाद कांग्रेस पार्टी के सदस्य रहे।  सुरक्षा को बढ़ाना और उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारना था।

शिक्षा का प्रशंसक:

स्वामीनाथन शिक्षा के क्षेत्र में अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध थे और उन्होंने शिक्षा के प्रति अपनी आस्था और प्रेम का प्रचार किया।

कांग्रेस और इंदिरा गांधी के साथ:

एम. एस. स्वामीनाथन का सम्बंध कांग्रेस पार्टी और इंदिरा गांधी के साथ था, वे एक प्रमुख कांग्रेस नेता और कृषि मंत्री रहे हैं। उन्होंने कृषि मंत्री और शिक्षा मंत्री: रूप में भारत सरकार को अपनी सेवाएं दीं। कृषि के क्षेत्र में अपने योगदान के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी अपने दृष्टिकोण को बदला और शिक्षा को सुधारने के प्रयास किए।

इंदिरा गांधी के साथ: एम. एस. स्वामीनाथन का नाम जब भी आता है, तो उनके साथ इंदिरा गांधी का संबंध उभरकर आता है। वे इंदिरा गांधी के प्रमुख सलाहकार और संज्ञान में आने वाले कृषि और खाद्य मुद्दों के संबंध में महत्वपूर्ण थे। उनका साथ इंदिरा गांधी के कृषि के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धी कार्यक्रमों का नेतृत्व करने में मदद किया, जिनमें “हरित क्रांति” एक महत्वपूर्ण हाथकंबल था।