विपक्ष एकता के सूत्रधार कहे जानें वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीते दो दिनों में दिए अपने बयान को लेकर सुर्खियां बटोर रहे हैं। नीतीश ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह तो कह दिया कि उनको न तो कुछ बनना है और न ही उनको कुछ चाहिए। उनका लक्ष्य विपक्ष को एकजुट करना और बीजेपी के खिलाफ एकजुटता से खड़े होना है।
भले नीतीश का यह बयान सामान्य है लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। क्योंकि नीतीश यह बयान दो बार पहले भी दे चुके हैं और कुछ नहीं चाहिए कहते-कहते उन्होंने मुख्यमंत्री पद प्राप्त किया। एक 1990 इस दौरान नीतीश कुमार महज 7 दिन के लिए मुख्यमंत्री बनें थे। दूसरा 2020 में जब सबको यही लगता था की बिहार को नया मुखिया मिलेगा और न-न करने वाले नीतीश मुख्यमंत्री बन जाते हैं।
क्यों नीतीश ने दिया न में जवाब –
इण्डिया गठबंधन की मुंबई में मीटिंग होनी हैं। मीटिंग में इंडिया गठबंधन के संयोजक का पद सृजित होगा और इसकी घोषणा भी होगी। पत्रकार ने जब नीतीश ने पूछा आपको क्या लगता है आप इंडिया गठबंधन के संयोजक होंगे। तो नीतीश ने शांति से जवाब दिया मेरी कोई इच्छा नहीं है। मुझे किसी पद की अभिलाषा नहीं। हमने विपक्ष एकता के लिए कदम बढ़ाया था। हम एकजुट होना चाहते थे और हुए। सब मीटिंग में साथ होंगे इसका भी फैसला हो जाएगा। आपको इसकी जानकारी जल्द मिलेगी।
हालाकि जेडीयू के सलाहकार और नीतीश कुमार के करीबी केसी त्यागी ने कहा है की नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री और इंडिया गठबंधन के संयोजक बनने के सभी गुण हैं। पार्टी की अंदरूनी इच्छा भी यही है कि नीतीश को यह पद सृजित हो और वह बिहार के मुखिया की कुर्सी छोड़कर दिल्ली पर ध्यान दें।