Reels Addiction: आज समय काफी बदल गया है अब लोगों का दिन कलम या किताब के साथ नहीं बल्कि मोबाइल और इंटरनेट के साथ गुजरता है। स्मार्टफोन लोगों की आज सबसे बड़ी जरूरत बन गया है। खबरों को जानना हो या मनोरंजन करना हो हम हर चीज के लिए स्मार्टफोन पर निर्भर हैं। लेकिन अगर सबसे ज्यादा आज के समय युवा मोबाइल फोन पर कुछ करते हैं तो वह है रील देखना। युवा आज अपना कीमती वक्त सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शार्ट वीडियो, रील्स या पोस्ट को स्क्रॉल करने में व्यतीत कर देते हैं और उनको अनुभव भी नहीं होता है।
कई लोग हमारे आस पास ऐसे मिल जायेगे जो कभी भी खाली रहना ही नहीं चाहते हैं। उनके दिमाग में मानो सोशल मीडिया ने ऐसा घर कर दिया है कि हर मिनट के बाद वह अपना मोबाइल चेक करते हैं या फिर रील्स चलाने लगते हैं। उन्हें यह सब करते वक्त यह तक नहीं पता चलता की उनके आस पास क्या हो रहा है या लोग उनके विषय में क्या सोच रहे हैं। वही आज हम आपको एक स्टडी के विषय में बताने जा रहे हैं जिसमें रील देखने के संदर्भ में कई बड़े खुलासे किए गए।
जानें क्या है स्टडी –
स्टडी का नाम ‘New Age Digital Media Consumption’. है। यह स्टडी IIM अहमदाबाद द्वारा की गई है। स्टडी में दावा किया गया है कि हमारे देश का युवा 4 घंटे से अधिक समय सोशल मीडिया पर व्यतीत करता है। 1 घटें से अधिक युवा ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रहते हैं। 1 घंटा तक करीब अपना समय ऑनलइन गेमिंग में व्यतीत करते हैं। एक दिन में करीब 1 करोड़ 76 लाख घंटे की रील्स इंस्टाग्राम पर देखी जाती है। टिक टॉक का आकड़ा इसका 10 गुना अधिक है। सोशल मीडिया पर प्रति 90 सेकेंड में वीडियो अपलोड होता है।
इसके आलावा देश के ज्यादातर युवाओं को सोशल मीडिया की लत लगी हुई है। रील्स देखने या बनाने की लत को वैज्ञानिक, Mass Psychogenic illness कह रहे हैं वही सोशल मीडिया पर वीडियो देखकर लोगों के विचार में परिवर्तन आ रहा है कई लोग इसकी वजह से डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।