Opposition MPs Suspension: सोमवार (18 दिसंबर) को संसद में कुछ ऐसा हुआ जो प्रत्यक्ष रूप से लोकतंत्र की रीढ़ पर वार कर रहा था। शीतकालीन सत्र में लोकसभा और राजयसभा के कुल मिलाकर 92 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। यह निलंबन तानाशाही का प्रमाण पत्र लेकर आया कि अब वो दिन दूर नहीं जब देश में एक ही पक्ष होगा। वो पक्ष जिसे सुनना नहीं सुनाना पसंद है। वो पक्ष जो सवाल पूंछने वाले की आवाज पर ताला लगा देगा। वो पक्ष जो स्वयं के खिलाफ खड़ी दिवार को तोड़ देगा। वो पक्ष जो स्वयं को स्थापित करने के लिए गलत को सही बताएगा और देश में उल्टी गंगा बहाएगा।
यदि मोटा-मोटा समझे तो सत्ताधारी दल स्वयं को सशक्त बनाने के लिए विपक्ष को खत्म करने से कतई नहीं कतराएगा। भले उसके लिए उसे अधर्म के मार्ग पर चलना पड़े और धर्म की पट्टी पहनाकर जनता को ठगना पड़े। विपक्षी सांसदों को सस्पेंड किया गया क्योंकि उन्होंने सदन की सुरक्षा में हुई चूक पर सवाल किया। बीजेपी का दावा है विपक्षी सांसदों ने सभापति के निर्देर्शों का अनुपालन नहीं किया। इसलिए उनको सदन से निलबित किया गया। लेकिन सवाल पूंछना यदि गलत है, सवाल न पूछना सदन का नियम है तो सदन में विपक्ष की भूमिका को खत्म कर देना चाहिए। वैसे भी अब 92 सांसदों के निलंबन के बाद सदन में विपक्ष की ताकत न के बराबर रही है और एक पक्ष स्वयं के साथ स्वयं की इच्छा अनुसार आराम से अब सदन की कार्यवाही कर सकता है।
बता दें राज्यसभा में विपक्ष के 95 सांसद हैं। राज्य सभा से 45 विपक्षी सांसदों को निलंबित किया गया है। लोकसभा में विपक्ष के 133 सांसद हैं, जिनमें से 46 सांसद निलंबित किए गए हैं।