हिन्दू ह्रदय सम्राट प्रभु श्री राम की जिसपर कृपा हो उसका सम्पूर्ण जीवन सुखी हो जाता है। राम सिर्फ भगवान नहीं हिन्दू की पहचान हैं। मान्यता है कि प्रभु श्री राम की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। जो पुरुष प्रभु श्री राम के दिखाए मार्ग पर चलता है उसे जीवन में कभी किसी कष्ट को नहीं झेलना पड़ता है क्योंकि वह परिस्थितियों को स्वीकारना और हर स्थिति में मुस्कुराना सीख जाता है। भारत में प्रत्येक माता-पिता की यही इच्छा होती है कि उनके पुत्र में प्रभु श्री राम सा आचरण और बहू में माता सीता सी शालीनता हो। भाई में लक्ष्मण या त्याग तो भरत और शत्रुघन सा समर्पण हो।
धर्म शास्त्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ प्रभु श्री राम श्री हरी के अवतार तो उनके छोटे भाई लक्ष्मण जी शेषनाग के अवतार हैं। लेकिन शायद ही कोई यह जानता हो किराम के प्रिय भरत और शत्रुघ्न किसके अवतार हैं। तो आइये जानते हैं प्रभु श्री राम के हृदय के करीब रहने वाले उनके छोटे भाई भरत और शत्रुघ्न किसके अवतार थे।
आध्यात्म के मुताबिक़ भरत भगवान विष्णु के शस्त्र यानी चक्र का अवतार थे। तो शत्रुघ्न उनके शंख का अवतार थे। भगवान विष्णु को अपना शंख और चक्र अत्यधित प्रिय था। इसलिए वह भरत और शत्रुघ्न से अत्यधिक प्रेम करते थे। वही जब प्रभु श्री राम 14 वर्ष के लिए अयोध्या छोड़कर वन गए और भरत उनको वापस लेने के लिए पहुंचे। तो राम जी ने पिता के वचन का हवाला देते हुए उनको मना कर दिया। क्योंकि प्रभु श्री राम जानते थे कि असुरों के संहार हेतु उनका वनवासी बन वन-वन भटकता आवश्यक है और अयोध्या की रक्षा उनके शंख और च्रक यानी भरत और शत्रुघ्न आसानी से कर लेंगे।