Mughal Divorce Rules: मुग़ल भारत के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं थे। 300 साल तक मुगलों ने भारत पर राज किया। हिन्दुओं के साथ अत्याचार की पराकष्ठा लांघ दी। महिलाओं का साथ अभद्रता करना मानों मुगलों का शौक बना हुआ था। वही मुगल साम्रज्य में कानून को लेकर काफी सख्ती थी। जो भी कानून बनाए जाते थे उसका पालन करना सभी के लिए आवश्यक होता था। जो लोग मुगलों के बनाए नियमों और कानूनों को नहीं मानते थे उनके खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान था। देश में इस्लामिक कल्चर का आगमन मुगल काल में भी सबसे अधिक हुआ। मुगलों ने स्त्री और पुरुष के लिए तलाक का भी कानून बनाया था जिसे मानना दोनों के लिए अनिवार्य था।
जानें मुगल काल में क्या था तलाक कानून –
मुगल काल के कानून के मुताबिक यदि कोई पुरुष एक स्त्री से विवाह करता है और उसकी वह स्त्री उसके साथ है तो वह किसी अन्य स्त्री के साथ विवाह नहीं कर सकता है। न वह अपनी बीबी से अधिक समय तक दूर रह सकता है। यदि वह अपनी बीबी से दूर रहता है तो उसे उसको गुजरा भत्ता देना होगा। इसके आलावा अलग किसी मुगल को कोई दासी पसंद आ जाती है तो वह उसे अपनी बीबी नहीं बना सकता है क्योंकि मुगल में दासी को बीबी बनाने की अनुमति नहीं थी।
अगर कोई स्त्री मुगल काल में किसी से शादी करती थी तो उसकी शादी के साक्ष्य सिर्फ उसके रिश्तेदार होते थे। स्त्री को यह अधिकार होता था कि वह अपने शौहर से कोई भी वादा ले सके। अगर शौहर उसके वादे को नं निभाए तो उसके खिलाफ सजा का प्रावधान था। वही अगर दोनों का किसी कारण वश तलाक हुआ है तो शौहर को उसे गुजारा भत्ता देना पड़ेगा।
किसके लिए मुगलों ने बनाए थे यह नियम –
मुगल काल में यह नियम सिर्फ जनता के लिए लागू थे। मुग़ल सम्राट स्वयं इन नियमों को कतई नहीं मानते थे। उनके हराम में हजारों रानियां होतीं थी। वह जब जिससे चाहें विवाह करते और जिसे चाहें छोड़ देते थे। ज्यादातर मुगल महिलाओं को उपभोग की वस्तु समझते थे।