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Online Addiction: सोशल मीडिया ने आज भले ही लोगों को वैश्विक स्तर से जोड़ दिया है। दूर-दूर के लोगों से कनेक्टिविटी बढ़ गई है। लेकिन बच्चों के जीवन में सोशल मीडिया ने मानों कोहराम मचा दिया है। अक्सर पैरेंट्स दावा करते हैं कि उनके बच्चे अपना ज्यादातर वक्त ऑनलइन गेमिंग, सोशल मीडिया,ओटीटी प्लेटफॉर्म पर व्यतीत करते हैं। अभिभावन अपने बच्चों के इस नेचर से काफी चिंतित भी हैं क्योंकि तकनीकी के साथ बच्चों का बढ़ता अटैचमेंट उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है और उन्हें मानसिक रोगी भी बना रहा है। 

वही बच्चों में सोशल मीडिया, ओटीटी और ऑनलाइन गेमिंग के एडिक्शन को लेकर लोकलसर्कल्स के एक सर्वेक्षण में ऐसा खुलासा हुआ है जिसे सुनकर आप दंग रह जायेगे। सर्वे के मुताबिक़ बच्चों के अभिभावकों ने यह स्वीकार किया है कि उनके बच्चें अब पहले की तरह पार्क में खेलना नहीं पसंद करते न उनकी पहली पसंद फिजिकल गेम हैं। वह अपना अधिक समय सोशल मीडिया,ऑनलाइन गेमिंग और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर व्यतीत करते हैं। यदि उन्हें इससे दूर रखने की कोशिश की जाती है तो वह चिड़चिड़ाते हैं। मोबाइल फोन के अधिक उपयोग की वजह से बच्चे अवसाद का शिकार हो रहे हैं। 

लोकलसर्कल्स का यह सर्वे 296 जिलों के करीब 46000 से ज्यादा शहरी पैरेंट्स के साथ पूर्ण हुआ है। सर्वे में 62% उत्तरदाता पुरुष 38% उत्तरदाता महिलाएं थीं। सर्वे के मुताबिक़ सभी सोशल मीडिया,ऑनलाइन गेमिंग और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर डेटा संरक्षण कानून को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे यदि इन प्लेटफॉर्म का उपयोग करें तो उसके लिए पैरेंट्स की अनुमति अनिवार्य कर दी जाए। 

सर्वे के मुताबिक़ 9-17 साल के बच्चे लगभग 3 घंटे  सोशल मीडिया,ऑनलाइन गेमिंग और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर व्यतीत करते हैं। यह आकड़ा अधिक भी हो सकता है। यदि बच्चों को तकनीकी से दूर रहने को कहा जाए तो वह अभिभावकों के साथ अनैतिक व्यवहार भी करने को तैयार रहते हैं। 39% पैरेंट्स के मुताबिक़ बच्चे 1-3 घंटे तकनीकी के साथ बिताते हैं। 46% पैरेंट्स के मुताबिक़ बच्चे 3-6 घंटे तकनीकी के साथ बिताते हैं। वही कुछ पैरेंट्स का मत था कि बच्चे 6 घंटे से अधिक समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं।